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बाबूजी की जीवनी
 
बाबू जगजीवन राम

बाबू जगजीवन राम को चार दशकों से भी अधिक समय तक लगातार केंद्रीय विधान मंडल के सदस्य के रूप में सेवा करने का महत्वपूर्ण गौरव प्राप्त था। पहले आम चुनाव से लेकर आठवीं लोक सभा तक लगातार अंतिम सांस तक आप लोक सभा के सदस्य रहे। बाबूजी को भारत सरकार में सबसे लंबे समय तक मंत्री के रूप में कार्य करने का गौरव प्राप्त था। जगजीवन राम संसदीय कार्यों को बहुत ही कुशलतापूर्वक निपटाने के लिए जाने जाते थे। आपकी वाकपटुता को संसद में भलीभांति स्वीकार्य थी और सराहनीय थी। केन्द्रीय मंत्री के रूप में आपने लोक सभा में अनेक विधेयक पेश किए और संसद में उन्हें पारित करवाया।

स्वातन्त्रयोत्तर भारत मे राष्ट्र निर्माण में बाबूजी के योगदान की अमिट छाप है। वर्ष 1946-52 तक आप श्रम मंत्री थे और बाद में वर्ष 1966-67 में आप पुनः इसी विभाग के मंत्री बने। श्रम मंत्रालय के अतिरिक्त आप संचार (1952-56), रेल (1956-1962), परिवहन और संचार (1962-63), खाद्य और कृषि (1967-70), रक्षा (1970-74)  तथा कृषि और सिंचाई (1974-77) मंत्री रहे। जब, 1977 में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी तब जगजीवन राम केबिनेट मंत्री के रूप में उसमें शामिल हुए और रक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभाला। आप उप-प्रधानमंत्री भी बने और 24 जनवरी, 1979 से 28 जुलाई, 1979 तक रक्षा मंत्री रहे।

श्रम मंत्री के रूप में, आपने श्रमिकों के कल्याण हेतु अनुभव आधारित लोकप्रिय नीतियां और कानून बनाए। औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, भारतीय श्रमिक संघ (संशोधन) अधिनियम 1960, बोनस संदाय अधिनियम 1965 आदि जैसे कुछ महत्वपूर्ण श्रम विधानों के अधिनियमन में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। आपने दो महत्वपूर्ण अधिनियमों नामतः कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 और भविष्य निधि अधिनियम, 1952 अधिनियमित करा करके सामाजिक सुरक्षा की नींव रखी।

संचार मंत्री के रूप में आपने निजी विमान कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया और दूर-दराज के गांवों में डाक सुविधाओं का प्रसार किया। बाबूजी ने परिवहन और संचार मंत्रालय का कार्यभार संभालते हुए अपने कार्यकाल के दौरान नागर विमानन निगम अधिनियम, 1953 को लागू करने में सफलता प्राप्त की जिसने नागर विमानन क्षेत्र को पर्याप्त मजबूती प्रदान की और जिसके परिणामस्वरूप, राष्ट्रीय विमान वाहक के रूप में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस अस्तित्व में  आए। नौवहन क्षेत्र की अपार क्षमता को पहचानते हुए, जगजीवन राम ने विश्व के सभी महत्वपूर्ण व्यापार मार्गों को कवर करने के लिए इसके बेड़े के विस्तार पर बल दिया जिसके परिणामस्वरूप, कुल माल ढुलाई में पर्याप्त वृद्धि हुई और जिससे विदेशी व्यापार में तेजी आई तथा विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई।

रेल मंत्री के रूप में आपने रेलवे का आधुनिकीकरण किया और रेल कर्मचारियों के कल्याण हेतु अनेक कल्याणकारी उपाय किए तथा लगातार पांच वर्षों तक यात्री किराए में कोई वृद्धि न करने का कीर्तिमान स्थपित किया। इस बात का उल्लेख करना महत्वपूर्ण होगा कि रेल मंत्री के रूप में बाबूजी के कार्यकाल के दौरान ब्रह्मपुत्र पुल का निर्माण किया गया जो अभियांत्रिकी उत्कृष्टता का अनुपम उदाहरण है। इस पुल के निर्माण से असम और अन्य पूर्वोत्तर सीमावर्ती राज्य देश की मुख्यभूमिका से जुड़ गए और इससे इस क्षेत्र के पूर्ण विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ। राष्ट्रीय एकता और अखंडता के महत्वपूर्ण साधन के अतिरिक्त, इस पुल की सामरिक महत्ता पूर्वोत्तर सीमावर्ती राज्यों के समक्ष पेश आ रही सुरक्षा संबंधी चुनौतियों को देखते हुए और बढ़ गयी। यह बाबूजी की दूरदर्शिता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

खाद्य और कृषि मंत्री के रूप में आपने देश को भीषण सूखे की चपेट से बाहर निकाला और हरित क्रांति का सूत्रपात किया तथा पहली बार भारत को खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया। आपने सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भी संगठित किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोगों को उचित मूल्य पर खाद्यान्न उपलब्ध हो सके।

रक्षा मंत्री के रूप में बाबू जगजीवन राम के प्रेरणादायी नेतृत्व ने संपूर्ण राष्ट्र और सशस्त्र बलों को पूर्वी पाकिस्तान (अब बंगला देश) में संकट का सामना करने के लिए प्रेरित किया। वस्तुतः, यह वीरता की एक ऐसी अप्रतिम गाथा थी जिसमें पाकिस्तानी सेना के लगभग एक लाख सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया।

वास्तत में एक नए राष्ट्र, बंगलादेश के निर्माण से दक्षिण एशियाई क्षेत्र की भू-राजनीति में एक नया मोड़ आया। 1971 की एतिहासिक और निर्णायक जीत बाबूजी के आत्मविश्वास, धैर्य और असीम साहस का प्रमाण है। रक्षा मंत्री के रूप में आपके कार्यकाल के दौरान ही भारत ने शांति, मैत्री और सहयोग की भारत-सोवियत संधि पर हस्ताक्षर किए थे।

बाबू जगजीवन राम दलित वर्गों की मुखरता, समानता और सशक्तिकरण के एक नए युग के उदय के प्रतीक थे। संविधान सभा के सदस्य के रूप में आपने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों हेतु राज्य विधानमंडलों में सीटों के आरक्षण और सरकारी रोजगार में आरक्षण के माध्यम से सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के उत्थान हेतु राज्य की ओर से हस्तक्षेप किए जाने संबंधी उपबंध के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाई। आपने सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आन्दोलन आपके दृढ़ समर्थन और निरंतर संघर्ष के कारण ही आपको ‘दलितों का मसीहा‘ कहा जाता है।

समानता का संदेश देते हुए, बाबूजी ने 6 जुलाई, 1986 को नई दिल्ली में अंतिम सांस ली। एक राष्ट्रीय नेता के रूप में आपने महात्मा गांधी से राजीव गांधी तक अनेक पीढि़यों के साथ राजनीतिक जीवन साझा और एक सत्यनिष्ठ तथा समर्पित राजनीतिक नेता, प्रतिबद्ध लोक सेवक, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, क्रंतिकारी और सच्चे मानवतावादी की विरासत छोड़ गए।

आपका विस्तृत जीवनवृत बाबू जगजीवन राम प्रोफाइल पर उपलब्ध है।


 
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कापीराईट/2012 बाबू जगजीवन राम राष्ट्रीय प्रतिष्ठान